बुधवार, 31 दिसंबर 2014

इस बार गया में संज्ञा समिति की कार्य शैली में बदलाव
प्राप्त सूचनानुसार गया जिला इकाई ने पूर्व से हट कर यह तय किया कि इस बार --
1 सूर्य सप्तमी महोत्सव में केवल शाकद्वीपी ब्राह्मण ही भाग लेंगे।
2 चंदा भी केवल स्वजातीय लोगों से लिया जायेगा।
3 अमीर गरीब सबका मान बराबर होगा और कुंडों की बिक्री/मूल्य आधारित आरक्षण नहीं होगा।
इस बार स्थान भी पहले से हट कर शहर के बीच धर्म सभा भवन को समिति ने रखा है, बाकायदा शुल्क दे कर। अन्य जानकारी संलग्न पर्चे से प्राप्त करें।

रविवार, 21 दिसंबर 2014

जाली इतिहास का संकट

जाली इतिहास का संकट
इतिहास के बारे में एक विचार यह भी है कि कोई कथा गढ़ कर उसे इतनी बार दुहराओं कि वह सच लगने लगे। यह काम अनजान लोगों के बीच और अपने बीच भी दबी जुबान से किया जाता है। जब झूठ स्थापित सी हो जाती है तब जानकार भी सच बोलने से डरते हैं कि बहुसंख्यक अनजान लोगों के कोप का सामना करना पड़ेगा। स्वयंभू और सुविधावादी इतिहास-रचनाकारों से मैं भी अपने जीवन में खूब प्रताडि़त हुआ।
एक प्रचलित इतिहास यह है कि मग-भोजक आदि नामों वाले शाकद्वीपीय ब्राह्मण सूर्य की पत्नी संज्ञा की संतान है। विभिन्न पुराणों के विभिन्न वर्णन। कल मुझसे पूछा गया कि संज्ञा की संतान होने का शास्त्रीय प्रमाण दें। मुझे नहीं मिला किसी पुराण में। क्या कोई बता सकेंगे? मगध क्षेत्र में तो बाकायदा ‘‘संज्ञा समिति’’ नामक संस्था भी है। मैं अभी भी पुस्तकों के पन्ने पलट रहा हूं कि शायद कहीं कुछ मिल जाये।