संगठन एवं राजनीति
संगठनों की हालात मग-भोजक लोगों के अनेक संगठन बनते बिगड़ते रहे हैं। इन संगठनों की अंदरूनी हालात चाहे जो भी हो उनके द्वारा व्यक्त विचारों से भी बहुत कुछ जाना जा सकता है। मैं ने उनसे पूछ कर उनके द्वारा प्रकाशित सामग्री बिना अपनी टिप्पणी के स्कैंड रूप में डालने का सिलसिला इस बार से शुरू किया है। साइज बड़ा करने के लिये स्कैंड पृष्ठ पर डबल क्लिक कर प
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ढ़ें-संगठन एवं राजनीतिहमारी चिट्ठीसेवा में, ........................................... ..........................................बिहार विविधताओं का प्रदेश है जहां जातियों और उपजातियों से जमात और फिर जमातों के मेल से समाज बना-बसा है। ब्राह्मणों का बिहार में अपना राजनैतिक-सामाजिक अतीत और योगदान रहा है। ब्राह्मणों में शाकद्वीपीय ब्राह्मण (बोलचाल में सकलदीपी ब्राह्मण) भी इस बिहार के सामाजिक-सांस्कृतिक अतीत में शामिल हैं, जो मुख्य रूप से ज्योतिष, आयुर्वेद, कर्मकांड (पुरोहिताई) और अन्य जीविकाओं के सहारे जीते-जागते रहे हैं। हमारा विशेष इतिहास सूर्योपासना से जुड़ा है, जो पौराणिक है। आज की तारीख में शाकद्वीपीय ब्राह्मण जमीन और जोत के मामले में भूमिहीनों की श्रेणी में हैं और धनबल के मामले में निर्धनों, निर्बलों की श्रेणी में। सामाजिक जीवन स्तर गरीबी रेखा से नीचे होने के बावजूद हमारे नाम बी0पी0एल0 लिस्ट से गायब हैं। शैक्षणिक स्तर के मामले में तो हम कई तरह की परेशानियों के शिकार रहे हैं और रोजगार के क्षेत्र में निजी प्रतिभा और परिश्रम ही हमारा मूल आधार है। स्वतंत्रता आंदोलन, किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलनों में हमारी व्यापक सहभागिता होने पर भी कमजोर होने के कारण राजनैतिक भागीदारी और राजनैतिक स्वीकृति के मामले में हमारी हालत बिल्कुल चिंतनीय व संरक्षण योग्य है। सामाजिक उपेक्षा झेल रहे हमलोग चूॅकि राजनैतिक, सामाजिक तौर पर सवर्ण समाज में गिने जाते हैं इस कारण हमारी हालत माया मिली न राम वाली रही है। आज की तारीख में राज्य की नव निर्वाचित सरकार ने सवर्ण आयोग बनाने का निर्णय लिया है, जिसका हम पूर्ण स्वागत करते हैं और इस मौके पर सवर्ण आयोग के उद्देश्यों व अवधारणाओं के अनुरूप हम अपनी सामाजिक उन्नति की मांग भी कर रहे हैं। चूॅकि सवर्ण-समाज कीे ब्राह्मण उपजाति के रूप में शाकद्वीपीय ब्राह्मण सामाजिक संरक्षण प्राप्ति का हक रखते हैं इसलिए बिहार सरकार से हमारी मांगे हैं - 1. सवर्ण आरक्षण और संरक्षण के नियमों को शाकद्वीपीय ब्राह्मणों की उन्नति हेतु सरकार शुरू एवं लागू करे।2. बिहार के शाकद्वीपीय ब्राह्मणों की सामाजिक स्थिति का सरकार त्वरित व सही सर्वेक्षण कराये, और सर्वेक्षण के अनुसार संरक्षण के नियमों की घोषणा कर उन्हें लागू करे। 3. राज्य सवर्ण आयोग के कार्यक्रमों में शाकद्वीपीय ब्राह्मणों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाय।4. सवर्ण आयोग में शाकद्वीपीय ब्राह्मणों को प्रतिनिधित्व, स्वीकृति एवं सम्मान मिले। 5. शाकद्वीपीय ब्राह्मणों के साथ हर सामाजिक स्तर पर होनेवाले अधिकार हनन की घटनाओं पर सरकार कार्रवाई करे। सरकार से उक्त मांगों पर हमारा ध्यानाकर्षण कार्यक्रम तारीख 10 फरवरी 2011 माघ शुक्ल सप्तमी (सूर्य सप्तमी) को पटना में किया जाना तय है और अगर जरूरत पड़ी तो हमारी मांगंे सवर्ण आयोग के गठन से लेकर बाद में भी तबतक जोरदार तरीके से उठती रहेंगी जबतक बिहार के शाकद्वीपियों को उनका वाजिब हक नहीं मिल जाता। निवेदकशाकद्वीपीय ब्राह्मण समिति, बिहारसम्पर्क:- 9431476562सेवा में]माननीय मुख्यमंत्री]बिहार सरकार] पटनाविषयः उच्च जातियों के पिछड़े एवं गरीब लोगों के लिए गठित किये जाने वाले आयोग (सवर्ण आयोग)एवंराज्य सरकार से शाकद्वीपीय ब्राहमणों के संरक्षण हेतु मांगों की ओर आपका ध्यान आकर्षण।महाशय]श्रीमान् ने सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़ी उच्च जातियों के लोगों के हितों के भी संरक्षण एवं इस उद्ेश्य की पूर्ति के लिए आयोग गठित करने की घोषणा की है, हम इसका स्वागत करते हैं और आपका अभिनन्दन करते हैं।श्रीमान् का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए हमने आज आर.ब्लॉक चौराहे पर एक शंातिपूर्ण धरने का आयोजन कर इस स्मार पत्र के माध्यम से अपने विषेश सरंक्षण की मांग करते हैं क्योंकि हम बिहार के अन्य ब्राह्मणों की तुलना में गरीब, कमजोर एवं संख्या की दृष्टि से भी बहुत कम है।जैसा कि समाचार माध्यमों से विदित हुआ है कि राज्य की नव निर्वाचित सरकार ने सवर्ण आयोग बनाने का निर्णय लिया है, जिसका हम पूर्ण स्वागत करते हैं और इस मौके पर सवर्ण आयोग के उद्देश्यों व अवधारणाओं के अनुरूप हम अपनी सामाजिक - आर्थिक उन्नति हेतु विशेष संरक्षण की मांग कर रहे हैं। हमारी सामाजिक - आर्थिक स्थिति का संक्षिप्त स्वरूप निम्न हैः-हमारी स्थितिः-आबादी की दृष्टि से मुख्यतः हम दक्षिण बिहार के विभिन्न गांवों में बसे हुए हैं और कुछेक गॉंवों में हमारी जनसंख्या 1000 से अधिक है अन्यथा विभिन्न गॉंवों में पॉंच-दस परिवार के हिसाब से फुटकर रूप से बसे हुए हैं। इसी इलाके से रोजी-रोटी के लिए उŸारी बिहार एवं अन्य क्षेत्रों में विस्थापित होते रहे हैं और मजबूरी में विस्थापित होने का सिलसिला जारी है।हमारी सामाजिक आर्थिक स्थिति का संक्षिप्त स्वरूप निम्न है जिससे स्पष्ट होता है कि हम सामाजिक/आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं और सरकारी नीतियों द्वारा संरक्षण के हकदार हैं -संक्षिप्त आकड़ा अनुमानितआबादी लगभग एक लाख पुरूष साक्षरता - 90 प्रतिशतस्त्री साक्षरता - 60 प्रतिशतबासगित जमीनधारी - 70 प्रतिशतखेती योग्य जमीनधारी - 5 प्रतिशतगरीबी रेखा से नीचे - 90 प्रतिशतपूर्णतः भूमिहीन - 30 प्रतिशतहदबंदी से अधिक स्वामित्ववाले किसान - 0-15 प्रतिशतआपराधिक मुकदमों के अभियुक्त - 0.1 प्रतिशतआई.ए.एस. - शून्यआई.पी.एस. - 2 मंत्री - शून्यविधायिका के सदस्य - एकसांसद - शून्यआयोग एवं निगमों पदाधिकारी - शून्यउद्योगपति - शून्यवर्Ÿामान मुख्य पेशा - पुरोहिती (पूजा पाठ कराना)पुराना पेशा - आयुर्वेद चिकित्सा, ज्योतिष, पुरोहितीगरीबी एवं पिछड़ेपन का मुख्य कारणऽ 1979 से आयुर्वेद की पारंपरिक शिक्षा पर सरकारी प्रतिबंध, जमीन के अभाव में नैसर्गिक जड़ी-बूटियों की उपलब्धता में कमी एवं औषध निर्माण सामग्री की लागत का कई गुना बढ़ जाना।ऽ विकेन्द्रित औषध निर्माण पर बड़ी कंपनियों का कब्जा।ऽ नये आयुर्वेद्कि कॉलेजों में शिक्षा पाने में आर्थिक असमर्थता।ऽ पूॅंजी एवं भूमि के आभाव में अन्य गतिविधियों में भी पिछड़ना।इतिहास एवं योगदानब्राह्मणों का बिहार में अपना राजनैतिक-सामाजिक अतीत और योगदान रहा है। ब्राह्मणों में शाकद्वीपीय ब्राह्मण (बोलचाल में सकलदीपी ब्राह्मण) भी इस बिहार के सामाजिक-सांस्कृतिक अतीत में शामिल है, जो मुख्य रूप से ज्योतिष, आयुर्वेद, कर्मकांड (पुरोहिताई) और अन्य जीविकाओं के सहारे जीते-जागते रहे हैं। हमारा विशेष इतिहास सूर्योपासना से जुड़ा है, जो पौराणिक है। आज की तारीख में शाकद्वीपीय ब्राह्मण जमीन और जोत के मामले में भूमिहीनों की श्रेणी में है और धनबल के मामले में निर्धनों, निर्बलों की श्रेणी में। स्वतंत्रता आंदोलन, किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलनों में हमारी व्यापक सहभागिता होने पर भी कमजोर होने के कारण राजनैतिक भागीदारी और राजनैतिक स्वीकृति के मामले में हमारी हालत बिल्कुल चिंतनीय व संरक्षण योग्य है। सरकार से हमारी मुख्य मॅागे:ऽ शाकद्वीपीय ब्राह्मणों को अत्यन्त कमजोर मानकर संरक्ष्रण दिया जाय।ऽ बिहार के शाकद्वीपीय ब्राह्मणों की सामाजिक स्थिति का सरकार त्वरित व सही सर्वेक्षण कराये और सर्वेक्षण के अनुसार संरक्षण के नियमों की घोषणा कर उन्हें लागू करे।ऽ सवर्ण आयोग में शाकद्वीपीय ब्राह्मणों को प्रतिनिधित्व, स्वीकृति एवं सम्मान मिले।ऽ शाकद्वीपीय ब्राह्मणों के साथ हर सामाजिक स्तर पर होनेवाले अधिकार हनन की घटनाओं पर सरकार कार्रवाई करें।ऽ औषधीय जड़ी-बूटी उगाने के लिए ग्राम स्तर पर सरकारी जमीन भूमिहीन परिवारों को दी जाय।ऽ संरक्षण देनेवाले विŸा निगमों के माध्यम से अविलंब आर्थिक सहायता/ऋण दिलाया जाय।ऽ गॉंवों के गरीब घरों में बरबाद हो रही उपयोगी एवं दुर्लभ पांडुलिपियों का प्रकाशन लोकहित में कराया जाय।ऽ खगौल एवं तारेगना में बेधशाला की स्थापना की जाय एवं सस्ती बेधशाला बनाने का हमें अवसर दिया जाय।ऽ कमजोर होने के कारण बी.पी.एल. सूची में पूर्वाग्रह वश हमारे लोगों के नाम काटनेवालों पर कानूनी कारवाई की जाय।आशा है श्रीमान् हमारी मॉंगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर हमारी मॉंगों के पक्ष में आयोग एवं संबद्ध सरकारी विभागों, नीति नियामक संवैधानिक संस्थाओं को निर्देशित करने की कृपा करेगें।सादर, सधन्यवाद!निवेदकशाकद्वीपीय ब्राह्मण समितिबिहारसंयोजक - रवीन्द्र कुमार पाठकमोबाईल नं. 9431476562हमारी चिट्ठी-2 आदरणीय बंधु,हमारी पहली चिट्ठी को कम समय में भी आप लोगों ने गंभीरता से लिया और सहयोग समर्थन भी दिया। सर्वण आयोग (ऊँची जातियों के गरीब लोगों के लिए आयोग का गठन भी हो गया। अब अवसर है सवर्ण आयोग के समक्ष अपनी बातों को समुचित ढंग से प्रस्तुत करने का। इस संबंध में आपके समक्ष कुछ स्पष्टीकरणों के साथ मूल लक्ष्य की ओर पुनः आपकी तत्परता की इच्छा रखता हूँ।सम सामयिक राजनैतिक पहल की दृष्टि से कुछ लोगों की पहल पर दिनांक 10 फरवरी 2011 को एक दिवसीय धरने का सफल आयोजन किया गया और माननीय मुख्य मंत्री, बिहार को ज्ञापन दिया गया।इसी निमित्त शाकद्वीपीय ब्राह्मण समिति नाम से एक तात्कालिक मंच का गठन किया गया। वस्तुतः न तो यह कोई संगठन है और न ही किसी नए समानांतर संगठन की दृष्टि से इसका आरंभ किया गया है। शाकद्वीपीय ब्राह्मणों की कई संस्थाएँ एवं संगठन कई स्थानों पर कार्यरत हैं, जैसे-संज्ञा समिति, अरूण प्रभा, अरूणोदय, निखिल, अखिल सार्वभौम आदि। ये संक्षिप्त नाम हैं, अन्य नामों वाले संगठन भी हो सकते हैं। हमारी समझ से नया समानांतर संगठन बनाने की जगह लोगों का आपस में एकजुट होना और अपनी आवाज बुलंद करना जरूरी है। जहाँ कोई संगठन नहीं है, वहाँ स्थानीय लोगों की अपनी रुचि एवं सुविधा से किसी भी संगठन की शाखा खुल सकती है या नया संगठन बन सकता है।आपस की एकजुटता पर विचार-विमर्श हेतु एक-दो महीने के अंदर पटना में एक दिवसीय बैठक का आयोजन किया जाने वाला है। उस बैठक के निर्णय के अनुसार आगे की कार्यवाही निश्चित की जाएगी और उसी समय सभी संगठनों/व्यक्तियों का साथ लेकर चलने की कार्ययोजना भी बनेगी। आप से आग्रह है कि इस आति महत्त्वपूर्ण बैठक में आप अवश्य भाग लें और संयोजन-नेतृत्व के लिए भी तैयार रहें। मैं व्यक्तिगत रूप से सदैव संयोजक का पद छोड़ने को तैयार हूँ। यह प्रयास पूर्णतः एक सूत्री एवं तात्कालिक है। इसीलिए जाति-सेवा के अन्य मुद्दों का इस अवसर पर समावेश नहीं किया गया है।आशा है, इस स्पष्टीकरण के बाद आप सबों के सहयोग, एकजुटता एवं बुद्धिमता से हमलोग सवर्ण आयोग का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने एवं अपने लिए विशेष कोटा निर्धारित कराने में सफल होंगे।सवर्ण आयोग के समक्ष उपस्थ्तिि के पूर्व हमें अपना आंकड़ा विधिवत् प्रस्तुत करना चाहिए। अगर आपने जातीय स्थ्तिि का सर्वेक्षण किया हो तो हमें भी बताएँ और अगर नहीं किया हो तो अभी से शुरू कर दें। सुविधा हेतु सर्वेक्षण फार्म का नमूना हम भेज भी सकते हैं। इसे कोई भी समझदार आदमी स्वविवेक से बना सकता है। सादर, सधन्यवाद,आपकारवीन्द्र कुमार पाठकसंयोजक, शाकद्वीपीय ब्राह्मण समिति, बिहार
संगठनों की हालात मग-भोजक लोगों के अनेक संगठन बनते बिगड़ते रहे हैं। इन संगठनों की अंदरूनी हालात चाहे जो भी हो उनके द्वारा व्यक्त विचारों से भी बहुत कुछ जाना जा सकता है। मैं ने उनसे पूछ कर उनके द्वारा प्रकाशित सामग्री बिना अपनी टिप्पणी के स्कैंड रूप में डालने का सिलसिला इस बार से शुरू किया है। साइज बड़ा करने के लिये स्कैंड पृष्ठ पर डबल क्लिक कर प
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ढ़ें-संगठन एवं राजनीतिहमारी चिट्ठीसेवा में, ........................................... ..........................................बिहार विविधताओं का प्रदेश है जहां जातियों और उपजातियों से जमात और फिर जमातों के मेल से समाज बना-बसा है। ब्राह्मणों का बिहार में अपना राजनैतिक-सामाजिक अतीत और योगदान रहा है। ब्राह्मणों में शाकद्वीपीय ब्राह्मण (बोलचाल में सकलदीपी ब्राह्मण) भी इस बिहार के सामाजिक-सांस्कृतिक अतीत में शामिल हैं, जो मुख्य रूप से ज्योतिष, आयुर्वेद, कर्मकांड (पुरोहिताई) और अन्य जीविकाओं के सहारे जीते-जागते रहे हैं। हमारा विशेष इतिहास सूर्योपासना से जुड़ा है, जो पौराणिक है। आज की तारीख में शाकद्वीपीय ब्राह्मण जमीन और जोत के मामले में भूमिहीनों की श्रेणी में हैं और धनबल के मामले में निर्धनों, निर्बलों की श्रेणी में। सामाजिक जीवन स्तर गरीबी रेखा से नीचे होने के बावजूद हमारे नाम बी0पी0एल0 लिस्ट से गायब हैं। शैक्षणिक स्तर के मामले में तो हम कई तरह की परेशानियों के शिकार रहे हैं और रोजगार के क्षेत्र में निजी प्रतिभा और परिश्रम ही हमारा मूल आधार है। स्वतंत्रता आंदोलन, किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलनों में हमारी व्यापक सहभागिता होने पर भी कमजोर होने के कारण राजनैतिक भागीदारी और राजनैतिक स्वीकृति के मामले में हमारी हालत बिल्कुल चिंतनीय व संरक्षण योग्य है। सामाजिक उपेक्षा झेल रहे हमलोग चूॅकि राजनैतिक, सामाजिक तौर पर सवर्ण समाज में गिने जाते हैं इस कारण हमारी हालत माया मिली न राम वाली रही है। आज की तारीख में राज्य की नव निर्वाचित सरकार ने सवर्ण आयोग बनाने का निर्णय लिया है, जिसका हम पूर्ण स्वागत करते हैं और इस मौके पर सवर्ण आयोग के उद्देश्यों व अवधारणाओं के अनुरूप हम अपनी सामाजिक उन्नति की मांग भी कर रहे हैं। चूॅकि सवर्ण-समाज कीे ब्राह्मण उपजाति के रूप में शाकद्वीपीय ब्राह्मण सामाजिक संरक्षण प्राप्ति का हक रखते हैं इसलिए बिहार सरकार से हमारी मांगे हैं - 1. सवर्ण आरक्षण और संरक्षण के नियमों को शाकद्वीपीय ब्राह्मणों की उन्नति हेतु सरकार शुरू एवं लागू करे।2. बिहार के शाकद्वीपीय ब्राह्मणों की सामाजिक स्थिति का सरकार त्वरित व सही सर्वेक्षण कराये, और सर्वेक्षण के अनुसार संरक्षण के नियमों की घोषणा कर उन्हें लागू करे। 3. राज्य सवर्ण आयोग के कार्यक्रमों में शाकद्वीपीय ब्राह्मणों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाय।4. सवर्ण आयोग में शाकद्वीपीय ब्राह्मणों को प्रतिनिधित्व, स्वीकृति एवं सम्मान मिले। 5. शाकद्वीपीय ब्राह्मणों के साथ हर सामाजिक स्तर पर होनेवाले अधिकार हनन की घटनाओं पर सरकार कार्रवाई करे। सरकार से उक्त मांगों पर हमारा ध्यानाकर्षण कार्यक्रम तारीख 10 फरवरी 2011 माघ शुक्ल सप्तमी (सूर्य सप्तमी) को पटना में किया जाना तय है और अगर जरूरत पड़ी तो हमारी मांगंे सवर्ण आयोग के गठन से लेकर बाद में भी तबतक जोरदार तरीके से उठती रहेंगी जबतक बिहार के शाकद्वीपियों को उनका वाजिब हक नहीं मिल जाता। निवेदकशाकद्वीपीय ब्राह्मण समिति, बिहारसम्पर्क:- 9431476562सेवा में]माननीय मुख्यमंत्री]बिहार सरकार] पटनाविषयः उच्च जातियों के पिछड़े एवं गरीब लोगों के लिए गठित किये जाने वाले आयोग (सवर्ण आयोग)एवंराज्य सरकार से शाकद्वीपीय ब्राहमणों के संरक्षण हेतु मांगों की ओर आपका ध्यान आकर्षण।महाशय]श्रीमान् ने सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़ी उच्च जातियों के लोगों के हितों के भी संरक्षण एवं इस उद्ेश्य की पूर्ति के लिए आयोग गठित करने की घोषणा की है, हम इसका स्वागत करते हैं और आपका अभिनन्दन करते हैं।श्रीमान् का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए हमने आज आर.ब्लॉक चौराहे पर एक शंातिपूर्ण धरने का आयोजन कर इस स्मार पत्र के माध्यम से अपने विषेश सरंक्षण की मांग करते हैं क्योंकि हम बिहार के अन्य ब्राह्मणों की तुलना में गरीब, कमजोर एवं संख्या की दृष्टि से भी बहुत कम है।जैसा कि समाचार माध्यमों से विदित हुआ है कि राज्य की नव निर्वाचित सरकार ने सवर्ण आयोग बनाने का निर्णय लिया है, जिसका हम पूर्ण स्वागत करते हैं और इस मौके पर सवर्ण आयोग के उद्देश्यों व अवधारणाओं के अनुरूप हम अपनी सामाजिक - आर्थिक उन्नति हेतु विशेष संरक्षण की मांग कर रहे हैं। हमारी सामाजिक - आर्थिक स्थिति का संक्षिप्त स्वरूप निम्न हैः-हमारी स्थितिः-आबादी की दृष्टि से मुख्यतः हम दक्षिण बिहार के विभिन्न गांवों में बसे हुए हैं और कुछेक गॉंवों में हमारी जनसंख्या 1000 से अधिक है अन्यथा विभिन्न गॉंवों में पॉंच-दस परिवार के हिसाब से फुटकर रूप से बसे हुए हैं। इसी इलाके से रोजी-रोटी के लिए उŸारी बिहार एवं अन्य क्षेत्रों में विस्थापित होते रहे हैं और मजबूरी में विस्थापित होने का सिलसिला जारी है।हमारी सामाजिक आर्थिक स्थिति का संक्षिप्त स्वरूप निम्न है जिससे स्पष्ट होता है कि हम सामाजिक/आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं और सरकारी नीतियों द्वारा संरक्षण के हकदार हैं -संक्षिप्त आकड़ा अनुमानितआबादी लगभग एक लाख पुरूष साक्षरता - 90 प्रतिशतस्त्री साक्षरता - 60 प्रतिशतबासगित जमीनधारी - 70 प्रतिशतखेती योग्य जमीनधारी - 5 प्रतिशतगरीबी रेखा से नीचे - 90 प्रतिशतपूर्णतः भूमिहीन - 30 प्रतिशतहदबंदी से अधिक स्वामित्ववाले किसान - 0-15 प्रतिशतआपराधिक मुकदमों के अभियुक्त - 0.1 प्रतिशतआई.ए.एस. - शून्यआई.पी.एस. - 2 मंत्री - शून्यविधायिका के सदस्य - एकसांसद - शून्यआयोग एवं निगमों पदाधिकारी - शून्यउद्योगपति - शून्यवर्Ÿामान मुख्य पेशा - पुरोहिती (पूजा पाठ कराना)पुराना पेशा - आयुर्वेद चिकित्सा, ज्योतिष, पुरोहितीगरीबी एवं पिछड़ेपन का मुख्य कारणऽ 1979 से आयुर्वेद की पारंपरिक शिक्षा पर सरकारी प्रतिबंध, जमीन के अभाव में नैसर्गिक जड़ी-बूटियों की उपलब्धता में कमी एवं औषध निर्माण सामग्री की लागत का कई गुना बढ़ जाना।ऽ विकेन्द्रित औषध निर्माण पर बड़ी कंपनियों का कब्जा।ऽ नये आयुर्वेद्कि कॉलेजों में शिक्षा पाने में आर्थिक असमर्थता।ऽ पूॅंजी एवं भूमि के आभाव में अन्य गतिविधियों में भी पिछड़ना।इतिहास एवं योगदानब्राह्मणों का बिहार में अपना राजनैतिक-सामाजिक अतीत और योगदान रहा है। ब्राह्मणों में शाकद्वीपीय ब्राह्मण (बोलचाल में सकलदीपी ब्राह्मण) भी इस बिहार के सामाजिक-सांस्कृतिक अतीत में शामिल है, जो मुख्य रूप से ज्योतिष, आयुर्वेद, कर्मकांड (पुरोहिताई) और अन्य जीविकाओं के सहारे जीते-जागते रहे हैं। हमारा विशेष इतिहास सूर्योपासना से जुड़ा है, जो पौराणिक है। आज की तारीख में शाकद्वीपीय ब्राह्मण जमीन और जोत के मामले में भूमिहीनों की श्रेणी में है और धनबल के मामले में निर्धनों, निर्बलों की श्रेणी में। स्वतंत्रता आंदोलन, किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलनों में हमारी व्यापक सहभागिता होने पर भी कमजोर होने के कारण राजनैतिक भागीदारी और राजनैतिक स्वीकृति के मामले में हमारी हालत बिल्कुल चिंतनीय व संरक्षण योग्य है। सरकार से हमारी मुख्य मॅागे:ऽ शाकद्वीपीय ब्राह्मणों को अत्यन्त कमजोर मानकर संरक्ष्रण दिया जाय।ऽ बिहार के शाकद्वीपीय ब्राह्मणों की सामाजिक स्थिति का सरकार त्वरित व सही सर्वेक्षण कराये और सर्वेक्षण के अनुसार संरक्षण के नियमों की घोषणा कर उन्हें लागू करे।ऽ सवर्ण आयोग में शाकद्वीपीय ब्राह्मणों को प्रतिनिधित्व, स्वीकृति एवं सम्मान मिले।ऽ शाकद्वीपीय ब्राह्मणों के साथ हर सामाजिक स्तर पर होनेवाले अधिकार हनन की घटनाओं पर सरकार कार्रवाई करें।ऽ औषधीय जड़ी-बूटी उगाने के लिए ग्राम स्तर पर सरकारी जमीन भूमिहीन परिवारों को दी जाय।ऽ संरक्षण देनेवाले विŸा निगमों के माध्यम से अविलंब आर्थिक सहायता/ऋण दिलाया जाय।ऽ गॉंवों के गरीब घरों में बरबाद हो रही उपयोगी एवं दुर्लभ पांडुलिपियों का प्रकाशन लोकहित में कराया जाय।ऽ खगौल एवं तारेगना में बेधशाला की स्थापना की जाय एवं सस्ती बेधशाला बनाने का हमें अवसर दिया जाय।ऽ कमजोर होने के कारण बी.पी.एल. सूची में पूर्वाग्रह वश हमारे लोगों के नाम काटनेवालों पर कानूनी कारवाई की जाय।आशा है श्रीमान् हमारी मॉंगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर हमारी मॉंगों के पक्ष में आयोग एवं संबद्ध सरकारी विभागों, नीति नियामक संवैधानिक संस्थाओं को निर्देशित करने की कृपा करेगें।सादर, सधन्यवाद!निवेदकशाकद्वीपीय ब्राह्मण समितिबिहारसंयोजक - रवीन्द्र कुमार पाठकमोबाईल नं. 9431476562हमारी चिट्ठी-2 आदरणीय बंधु,हमारी पहली चिट्ठी को कम समय में भी आप लोगों ने गंभीरता से लिया और सहयोग समर्थन भी दिया। सर्वण आयोग (ऊँची जातियों के गरीब लोगों के लिए आयोग का गठन भी हो गया। अब अवसर है सवर्ण आयोग के समक्ष अपनी बातों को समुचित ढंग से प्रस्तुत करने का। इस संबंध में आपके समक्ष कुछ स्पष्टीकरणों के साथ मूल लक्ष्य की ओर पुनः आपकी तत्परता की इच्छा रखता हूँ।सम सामयिक राजनैतिक पहल की दृष्टि से कुछ लोगों की पहल पर दिनांक 10 फरवरी 2011 को एक दिवसीय धरने का सफल आयोजन किया गया और माननीय मुख्य मंत्री, बिहार को ज्ञापन दिया गया।इसी निमित्त शाकद्वीपीय ब्राह्मण समिति नाम से एक तात्कालिक मंच का गठन किया गया। वस्तुतः न तो यह कोई संगठन है और न ही किसी नए समानांतर संगठन की दृष्टि से इसका आरंभ किया गया है। शाकद्वीपीय ब्राह्मणों की कई संस्थाएँ एवं संगठन कई स्थानों पर कार्यरत हैं, जैसे-संज्ञा समिति, अरूण प्रभा, अरूणोदय, निखिल, अखिल सार्वभौम आदि। ये संक्षिप्त नाम हैं, अन्य नामों वाले संगठन भी हो सकते हैं। हमारी समझ से नया समानांतर संगठन बनाने की जगह लोगों का आपस में एकजुट होना और अपनी आवाज बुलंद करना जरूरी है। जहाँ कोई संगठन नहीं है, वहाँ स्थानीय लोगों की अपनी रुचि एवं सुविधा से किसी भी संगठन की शाखा खुल सकती है या नया संगठन बन सकता है।आपस की एकजुटता पर विचार-विमर्श हेतु एक-दो महीने के अंदर पटना में एक दिवसीय बैठक का आयोजन किया जाने वाला है। उस बैठक के निर्णय के अनुसार आगे की कार्यवाही निश्चित की जाएगी और उसी समय सभी संगठनों/व्यक्तियों का साथ लेकर चलने की कार्ययोजना भी बनेगी। आप से आग्रह है कि इस आति महत्त्वपूर्ण बैठक में आप अवश्य भाग लें और संयोजन-नेतृत्व के लिए भी तैयार रहें। मैं व्यक्तिगत रूप से सदैव संयोजक का पद छोड़ने को तैयार हूँ। यह प्रयास पूर्णतः एक सूत्री एवं तात्कालिक है। इसीलिए जाति-सेवा के अन्य मुद्दों का इस अवसर पर समावेश नहीं किया गया है।आशा है, इस स्पष्टीकरण के बाद आप सबों के सहयोग, एकजुटता एवं बुद्धिमता से हमलोग सवर्ण आयोग का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने एवं अपने लिए विशेष कोटा निर्धारित कराने में सफल होंगे।सवर्ण आयोग के समक्ष उपस्थ्तिि के पूर्व हमें अपना आंकड़ा विधिवत् प्रस्तुत करना चाहिए। अगर आपने जातीय स्थ्तिि का सर्वेक्षण किया हो तो हमें भी बताएँ और अगर नहीं किया हो तो अभी से शुरू कर दें। सुविधा हेतु सर्वेक्षण फार्म का नमूना हम भेज भी सकते हैं। इसे कोई भी समझदार आदमी स्वविवेक से बना सकता है। सादर, सधन्यवाद,आपकारवीन्द्र कुमार पाठकसंयोजक, शाकद्वीपीय ब्राह्मण समिति, बिहार
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