रविवार, 28 अक्तूबर 2012

प्रामाणिक इतिहास


इतिहास की जानकारी और समझ जितना जरूरी है, उससे अधिक जरूरी है उसका प्रामाणिक होना। गौरवशाली इतिहास के आकर्षण में अपनी अगली या वर्तमान पीढ़ी को भ्रामक जानकारी देना एक प्रकार से अपराध है। पुराने समय का कोई भी आदमी कितना भी विख्यात क्यों न हो, केवल अंदाजेबयां वाले तर्ज पर उसे अपना साबित करना ठीक नहीं है। इसलिये मग संस्कृति ब्लाग पर केवल प्रामाणिक जानकारी ही दी जाती है और आप सभी पाठकों से भी निवेदन है कि संदर्भ सहित प्रामाणिक इतिहास से इसे भरा-पूरा करने में मेरी मदद करें।
मगध में पैदा होने या पुराना नाम होने से कोई दावा सिद्ध नहीं होता। अभी तक जिन नामों का आकर्षण है, वे मुख्यतः निम्नांकित हैं-
1          ऋषि च्यवन एवं मतंग। इनके नाम पर तीर्थ क्षेत्र हैं।
2          ऋषि चरक, आयुर्वेद की प्रसिद्ध पुस्तक चरक संहिता के रचयिता
3          बाणभट्ट एवं उनके रिश्तेदार मयूर भट्ट आदि सभी प्रसिद्ध विद्वान, साहित्यकार
4          आर्यभट्ट, खगोलविद् गणितज्ञ
5          भाष्कराचार्य, खगोलविद् गणितज्ञ
6          वराह मिहिर, खगोलविद् गणितज्ञ बृहत्संहिता जैसी विश्वकोशीय पुस्तक के रचनाकार
7          चाणक्य विष्णुगुप्त, चन्द्रगुप्त के आचार्य एवं अर्थशास़्त्र के रचनाकार
8          विष्णु शर्मा, हितोपदेश तथा पंचतंत्र के रचनाकार
मित्रों, कृपया प्रामाणिक सूचना दें एवं प्रामाणिक सूचना ही स्वीकार करें। मैं भी खेज में लगा हूं। ब्लाग पर नहीं है इसका मतलब मैं स्वयं संतुष्ट नहीं हूं।
उपर्युक्त के अतिरिक्त भी पूरे भारत में अनेक महान एवं अनुकरणीय व्यक्तित्व पैदा हुए हैं, जिनके गौरव से हम गौरवान्वित हो सकते हैं, भले ही उनके जीवन काल में अपनी ही बिरादरी ने उन्हें सम्मान एवं गौरव न दिया हो क्योंकि वे मनुष्यता या ऐसे ही किसी व्यापक पक्ष का समर्थन कर रहे थे। ऐसे लोगों का संक्षिप्त विवरण भी एक स्वतंत्र पुष्ठ पर दिया जायेगा। रवीन्द्र कुमार पाठक