गुरुवार, 8 अगस्त 2013

अमर शहीद मंगल पाण्डेय की जाति का सच?

अमर शहीद मंगल पाण्डेय की जाति का सच?
बंधुओं एक बार लगभग 1 साल पहले मैं ने अपने ब्लाग पर अमर शहीद मंगल पाण्डेय की जाति के सच के बारे में वास्तविकता जानने हेतु जानकारी मांगी थी। विकीपीडिया के अनुसार एवं अन्य स्वजातीय संगठनकर्ताओं/विशेषज्ञ बंधुओं के अनुसार बलिया वाले मंगल पाण्डेय तो भूमिहार निकलते हैं। यह सारी सूचना मैं ने अपने ब्लाग पर संदर्भसहित अपने ब्लाग पर डाल दी थी।
मुझे फिर से एक नई बात पढ़ने को मिली है। एक दूसरे मंगल पाण्डेय, जिन्हें अमर शहीद मंगल पाण्डेय माना जा रहा है वे बलिया नहीं फैजाबाद के हैं। ये मान्यवर शाकद्वीपीय ब्राह्मण हैं। यह जानकारी विस्तार से शाकद्वीपीय ब्राह्मण बन्धु पत्रिका के अंक 4, जुलाई 2013 में दी गई है। जीवनी लेखक महोदय श्री नथमल पाण्डेय जो स्वयं तो जयपुर, राजस्थान के हैं, न उनका पता इस पत्रिका में उपलब्ध है न ही उन्होने अपने वक्तब्य का कोई आधार दिया है।
सब कुछ एक कहानी जैसा वर्णित है। मैं ने इस आलेख की स्कैंड कापी संलग्न कर दी है। आप सभी जो फैजाबाद या आसपास के हों कृपया इस बात की पक्की जानकारी दें कि क्या ‘दुगवां रहीमपुर’ गांव में स्वजातीय बंधु अभी भी हैं और उनकी याददाश्त स्मृति परंपरा क्या है? फैजाबाद में  मगध से गये हुए ‘मग’ हैं। अतः उनका ‘पुर’ भी बताने

का कष्ट करें।

22 टिप्‍पणियां:

shashi ranjan mishra ने कहा…


मंगल पाण्डेय, पर अब तक जो सुचना उपलब्द्ध है उसमे वे नगवां बलिया के ही बताये गये हैं | उनके प्रपोत्र श्री संजय पाण्डेय ने लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका भी दर्ज कि थी कि मंगल पाण्डेय कि जीवनी पर बनी फिल्म में गलत तथ्य दिए गये हैं | मंगल पाण्डेय "भूमिहार ब्राह्मण" थे इसकी जानकारी Mangal Pandey, the true story of an Indian revolutionary में दी गयी है | इस पुस्तक को गूगल पर देखा जा सकता है (http://books.google.co.in/books?id=ZMIoWp7SW7EC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false)| अन्य वेबपेज जहाँ उन्हें फैजाबाद का बताया गया है वो संदिग्ध हैं | ये अन्यथा भ्रामकता फैला रहे हैं |

shashi ranjan mishra ने कहा…

रिचर्ड फोस्टर(University of Hawai`i at Manoa)के शोध पत्र (लिंक- http://scholarspace.manoa.hawaii.edu/bitstream/handle/10125/29623/Forster_Richard_Mangal%20Pandey.pdf?sequence=1)में जो जानकारी दी गयी है वह निम्न लिखित है -
186 Misra, True Story. See also “Two File Petitions, Claim to be Mangal Pandey‟s Descendents” Rediff India Abroad, September 28, 2005 http://www.rediff.com/news/2005/sep/28mangal.htm Accessed Sunday 27th December 2009. The controversy over claims to Mangal Pandey‟s genealogy is such that the current author encountered some difficulty in making contact with people of the Nagwa area who claim to be descended from his lineage. While the various claimants may well have proved to be enthusiastic informants, upon making enquiries in the village, the author‟s guide and translator feared that making contact with one group or another would likely provoke a new outbreak in hostilities between feuding factions. Having family connections to the locality, my guide was understandably extremely reluctant to become personally embroiled in the conflict. With limited time available for conducting interviews in the area, the author reluctantly forewent the opportunity to press the issue. An interesting story did emerge from our brief visit to Nagwa, however. When asked of the location of Pandey‟s birthplace, villagers related that the river Ganga had changed course since the time of Mangal Pandey‟s birth and that the part of the old village containing his family home had been inundated. While this is eminently plausible, the story fits neatly with the mythology of Mangal Pandey as the heroic Brahmin – although his execution at the hands of the British may well have prevented his interment in the holy river, his local memory appears to be very much associated with these most sacred of waters, as is befitting a high-caste Hindu of such elevated national status.
187 M.L. Bhargava, Saga of 1857: Success and Failures (New Delhi: Reliance Publishing House, 1992), 50.

Unknown ने कहा…

बलिया मे भूमिहार को ब्राह्मण माना ही नही जाता है नेट मे यु ट्युब मे कुछ भी लिख दे नही मानेगे बाप परदादा का दूध व गाव नही बदला जा सकता है । बिहार मे रणविर सेना किसका था । चेत सिंह बनारस की रखेल वेश्या पन्ना का ईतिहास क्या है । उपाधि लिख लेने से ही जात बनता तो बहुत से गोड आदवासी सिह लिख रहे है उन्हे राजपूत क्यो नही माना जाता है यहा पर तेली रठौरा अब राठौर उपाधि लगा रहे है पर उन्हे राजपूत नही माना जाता है उन्हे साहु ही समाज कहता है गौतम उपाधि चमार लिख रहे है चौहान चमार नेनुहर गडेरिया लिख रहे है तो क्या वह पृथ्वीराज चौहान राजपूत हो जाऐगे क्या ।

Unknown ने कहा…

कार्लमाश बिलियम हटर मैकाले मत बनिये । इंसान मे ब्राह्मण की पहचान गांव से होता है नात रिस्तदार के गांव से होता है जिसे समाज देखते सुनते जानते आ रही है जिसके पूर्वज समाज के लिऐ पांडित्य कर्म किये है और आज भी उनके वंश कर रहे है वही ब्राह्मण है । किताब तो बहुत लिखे गये है कुछ शब्द निकाले गये है कुछ नये तथ्य जोडे गये है । जिस तरह ऐन सी आर टी कि किताब हर तीन साल मे बदल जाता है उसी तरह नाना प्रकार के प्रकाशन के ग्रन्थ भी बदले गये है । पर गांव कोई नही बदल सकता । जो भगवान से तार जोडा हुआ है सत मार्गी है सनातन धर्म के मर्यादा पर चल रहा है नात रिस्तदार भी चल रहे है ज्ञानी तपोनिष्ठ स्वाध्याय मे लगे हुये है और मानव का कल्याण कर रहे है वही ब्राह्मण है । पांताजली भाष्य मे स्पष्ट निर्णय है । ब्राह्मण पिता व ब्राह्मणी माता के पुत्र ही ब्राह्मण होते है । गीता मे स्पष्ट निर्णय है कि ब्राह्मण जन्म से ब्राह्मण होता है ।

Unknown ने कहा…

जन्म जायते शूद्र: सस्कार उच्चते ब्रह्म जानेत्वम् ब्राह्मण: यह बात काल्पनिक है ब्राह्मण जन्म से ही ब्राह्मण होता है सस्कार से द्धिज होता है ज्ञान से क्षोत्रिय होता है पूज्य व अपूज्य अपने कर्म से होता है ।भागवत मे ईसका निर्णय दिया हुआ है ।उपनिषद मे भी ईसी बात का समर्थन है । इंसान संत हो सकता है पूज्निय हो सकता है महात्मा हो सकता है चरण स्पर्श कराने की पात्रता पा सकता है पर ब्राह्मण नही हो सकता । खास कलयुग मे । रहा सवाल विश्वामित्र का अग्नी वेस का देवापी का तो यह कर्म से भले ही ब्राह्मण हो गये पर अपने पूर्वज ऋष्टीसेन शांतनु गाधि कुशिक त्रिशखु सगर सरजू को नही बदल सकते वह क्षत्रिय ही कहलाऐगे ।

Unknown ने कहा…

रामचरितमानश व रामायण बिश्व की धरोहर है उपनिषद कठोनिषद सतपत ब्राह्मण भाष्य ऐतरेय ब्राह्मण भाष्य शाकल संहिता सामवेद पवमानखंड । शुक्लयजुर्वेद तेत्रिय संहिता को प्रमाण मानते है । मामखोर के शुकला को भी भूमिहार लोग अपने मे मिला लिख लिख लिये है हम भी मामखोर के बगल के है । सरजूपारिय ब्राह्मण को अग्नीवेश से लिखा ।

Unknown ने कहा…

भये बरण शकर कली । भिन्न सेतु सब लोग ।।। करही पाप पावे दुख येही है संयोग ।। कलिमल ग्रसे धर्म सब । लुप्त भये सद ग्रन्थ ।। दंभी निज मति कल्पी करे। प्रगट किये बहू पंथ ।।

Unknown ने कहा…

Mangal pandey bhumihar hai jo yodhha hote hai na ki bhikh mangnne wale Brahmin

Unknown ने कहा…

सहमत

अंबुज ने कहा…

कौन ब्राह्मण हो भाई?
कान्यकुब्ज वंशावली पिछला ३०० साल से भुमिहार को ब्राह्मण दिखा रहा है जाओं लडो उस से:

भूमिहार ब्राह्ममणों पर लगने वाले आक्षेप का निवारण
##############
आक्षेप १=

ब्रह्मण कर्म नही करते खेती करते हैं तो ब्राह्मण कैसे हुए?

निवारण -
ब्राह्मणोस्यमुखमासीद्वाहूराजन्यःकृतः।
उरु तदस्य यद्वैश्यपद्भाँशूद्रोSजायत ॥
यजु. ३१/११

यहाँ पद्भ्यां में पञ्चमी विभक्ति है तथा जननी प्रादुर्भाव से अजायत बनता है , अर्थ उत्पन्न होने से है।
अब इस वैदिक श्रुति के संबंध मे लोग कल्पना करते हैं कि विद्यादि मुख्यगुणयुक्त ब्राह्मण हुआ ,बाहु अर्थात् रक्षणादिगुणयुक्त क्षत्रिय ,उरु अर्थात् व्यापरादि गुणचुक्त वैश्य तथा पद अर्थात् सेवादि गुणयुक्त शुद्र अर्थात जिसमे जैसा गुण हो उसे उस वर्ण का समझा जावे किन्तु ऐसा मानने से श्रुति के चतुर्थ चरण मे
पद्भ्यां शूद्रो अजायत्
पञ्चमी विभक्ति है ये असंगत हो जाएगी।

इस वैदिक श्लोक का भिन्न अर्थ करने से पूर्व
श्रुति क्रम को देखें _

सहस्त्रशीर्षा . _
श्रुति से सृष्टि का प्रकरण है उक्त श्रुति ब्राह्मणोस्यामुखमासीद्.
के पश्चात अगली श्रुति है :

चंद्रमा मनसो जाश्चक्षोःसूर्यो अजायत।

यहाँ भी अजायत से चंद्रमा तथा सूर्य के उत्पत्ति से संबंध है , सूर्य का गुण है तेज क्या तेज ग्रहण कर लेने चंद्रमा सूर्य बन जायेगा , ये संभव है कभी कि चंद्रमा सौरमंडल का केन्द्र बने , कितनी भी तेजस्विता ग्रहण कर ले चंद्रमा रहेगा पृथ्वी का उपग्रह ही । ठीक उसी प्रकार सूर्य चंद्रमा का गुण शीतलता है , सूर्य कितना भी शीतल हो जाए वो पृथ्वी का उपग्रह नही हो सकता है ।

अतः ब्राह्मणोस्यामुखमासीद् श्रुति से उत्पति अर्थ ही सिद्ध है।
आप्तस्तम्ब धर्मसूत्र में -
तेषां पूर्वः पूर्वो जन्मतः श्रेयान्।

इस से जन्म से वर्ण व्यवस्था सिद्ध है अतः कर्म बदलने से वर्ण निर्णय तर्क संगत नही अन्यथा एक स्त्री बच्चों की सेवा करती है पढाती है कृषि करती हैं उनकी रक्षा करती है ,पुरुष भी इसी प्रकार रक्षण पालनादि करते तो एक दिन मे कितने बार वर्ण बदलेगा? एसे में कोई व्यवस्था संभव है क्या?

आक्षेप : २
ब्राह्मण भिक्षाटन कर के जीवन जीते हैं अपितु भुमिहार कृषि कर के ,अतः ये तर्क संगत नही , इसलिए ये कुलीन नही ब्राह्मणों मे हीन हैं: -

निवारण : -
यद्यपि सभी ऋषियों का वचन परोपकारी होने के कारण सभी कालों में मान्य है किन्तु इन सब मे कलियुग मे पराशर ऋषि का मत सर्वमान्य है ;प्रमाण देखें : -

कृते तु मानवाधर्मास्त्रेतायां गौतमस्य च।
द्वापरे शंखलिखिताः कलौ पाराशराः स्मृताः ॥
बृहत्पाराशरे अध्याय १ , श्लोक ४७

आगे पराशर जी लिखते हैं : _

षट्कर्मनेरतो विप्रः कृषि कर्माणि कारयेत्।
हलमष्टगवं धर्म्ये षड्गवं मध्यमम् स्मृतम् ।।

यहाँ ब्राह्मणों को कृषि करने का स्पष्ट आदेश है , रही बात षट् कर्म की तो वो कौन हैं?

मनुस्मृति मे उल्लेख है :_

अध्ययनं अध्यापनं यजनं याजनं तथा ।
दानं प्रतिग्रहश्चैव षट् कर्मान्यग्रजन्मनः ।।

पढना पढाना यज्ञ करना कराना दान लेना दान देना छः कर्म ब्राह्मण के हैं ,

वही पराशर ऋषि भिक्षाटन के संबंध मे लिखते हैं :
तितिक्षाज्ञानवैराग्यसमाधिगुणवर्जितम्।
भिक्षामात्रेण जीवन्ति ते नराः पशुवत्किल।।
तप ज्ञान वैराग्य से रहित भिक्षाटन पर जीवित ब्राह्मण पशु समान हैं।।

प्रतिग्रहसमर्थोSपि प्रसंगं तत्र वर्जयेत्।
प्रतिग्रहेण ह्यस्याशु ब्राह्मं तेजः प्रशाम्यति।।

दान लेने मे भी समर्थ होने पर भी दान न लेवें क्योंकि दान लेने से शीघ्र ही ब्रह्मतेज शान्त अर्थात् क्षीण हो जाता है।

बृहत्कान्यकुब्जकुलदर्पण मे पृष्ठ संख्या श्लोक है =

मदारादिपुराख्यस्य भुमिहाराद्विजास्तु ये।
तेभ्यश्च यवनेण्द्रैश्च महाद्युधमभूत पुरा।।
तेभ्यश्च ब्राह्मणाः सर्वे परास्ता अभवंस्ततः।

मदारपुर में यवन आक्रमणकारियों और भुमिहार ब्राह्मणों के मध्य युद्ध का उल्लेख वंशावली मे है।

इस प्रकार भुमिहारों का कुलीन कान्यकुब्ज शाखा का होना सिद्ध है।

धन्यवाद्
बाबू अंबुज शर्मा
मगध पुत्र

अंबुज ने कहा…

काशी की पाण्डित्य परंपरा नामकी पुस्तक पढो :
परंपरा से वहाँ के पंडित महारानी अहिल्याबाई ने हमे नियुक्त किया था, काशी नरेश से भीख मांगने गये थे तुमलोग तब उनके कहने पर हमने तुम्हे वहाँ का पाण्डित्य अधिकार दान मे दिया है शर्म करो कुछ बोलने के पहले - वो पुस्तक मेरी नही एक सरयुपारी ब्राह्मण की लिखी है सप्रमाण -पढो जा के।

अंबुज ने कहा…

जो ई.पू. पहली शताब्दी के ताम्रपत्र केसपा मे मिले हैं वो मेरे बाप ने वहाँ लिख के नही गाड दिया था _ वो आर्क्क्ययूलोजिकल और कार्बन डेटिंग से प्रूफ है हमारे ब्राह्मण होने का , बाकि अधिक खाज है तो कोर्ट मे मिलो

अंबुज ने कहा…

शास्त्रार्थ कर लो भाई , किस वेद के कौन से शाखा से हो?

अंबुज ने कहा…

पंडित संतोष शर्मा शास्त्री , तुम्हे पंडित शब्द की व्याख्या मालुम नही है यदि ऐसा होता तो अनर्गल प्रलाप न करते ।

Post, comment,and sharing ने कहा…

Mangal pandey belongs to bhumihar Brahmin caste.

Post, comment,and sharing ने कहा…

jo yodhha hote hai na ki bhikh mangnne wale Brahmin

Babhanbrahmanhistory ने कहा…

शाकदीपीय ब्राह्मण हो ,पं संतोष शर्मा पहले अपना इतिहास पता करो ।तुम्हारे प्रमाणपत्र की आवश्यकता नही है ,भूमिहार ब्राह्मणो को । अपने पूर्वजो वंशावली के आधार पर हम भूमिहार ब्राहमण हैं । अथर्ववेद के भूमिसूक्त से भूमिहार हैं।

Babhanbrahmanhistory ने कहा…

पांडित्य कर्म केवल पूजा पाठ ,यज्ञ ,हवन,पुरोहती करना ,दान लेना ,महापातर तक सीमित नही है ।अफसोस कि संतोष शास्त्री जैसे लोगो को पुष्यमित्र शुग ,परशुराम ,द्रोण,जैसे ब्राहमण सेनानी नही दिखे जोकि आयुधजीवी ब्राहमण थे ।भूमिहार आयुधजीवी कृषक ब्राहमण है ।वाडव ,भौमिक ,भूमिधर ,अग्रहार आदि भूमिहार से सयुक्त हैं । वैसे संतोष शात्री प्रमात्र पत्र देने का शौक हो तो उन ब्राह्मणो को भी दो ,जो कर्म कांड छोड़ कर भी ब्राहमण बने है । चतुवेदी ,त्रिवेदी लगाते है लेकिन वेद का ज्ञान भी नही है ।

Unknown ने कहा…

Kindly search about Raja mulhan dikshit then fight who is bhrahmin....raja mulhan k vanwali padh lo khud pta chal jayega k wo kya the

Unknown ने कहा…

Bhai bhumihar ko ayachak Brahman kaha jata hai keval bihar purvi utarprdesh jharkhand me bhumihar Brahman kaha jata hai or or pure bharat ke sabhi rajyo alag alag namo se jane jate hai sapuran bharat varas me do hi prakar ke Brahman ik yachak dushra ayachak bhumihar ko sanineek Brahman or ladaku Brahman bhi kaha jata hai tum gugal sarch karke pata kar sakte ho bhumihar ko Brahmano ka balwan ang kaha gaya hai

Unknown ने कहा…

Bilkool right brother 100 percent ye bhikhmanga ghar se hi coment karne wala hai mangal panday bhumihar Brahman hi the

Ujjwal Rai ने कहा…

Abey chutiye Pandit Makhan lal Mishra ki kitab hai Brahman ki utpatti Jake ke padh le phir bhi nhi samjh aaye to Kanykubj Vanshavali dekh lo agar phir bhi koi shak hain to ek DNA report hai google par jisme Kayasth aur bhumihar ka DNA test me paya gya hai bhumihar aur brahmin DNA me kafi similarity hain jabki kath aur Brahmin me bahut jyada antar hai