मित्रो, इधर बहुत दिनों से मैं ने कोई नई सामग्री ब्लाग पर नहीं डाली। सोचा, आकार बहुत बड़ा हो गया है तो लोग जरा पढ़ तो लें, लेकिन एक बात जंची नहीं। 1000 से अधिक लोग आए, देखे और चले गये। कुछ ही लोगों ने अपनी राय दी। यह क्या? अगर गडबडी है तो बताइये तो सही। सामग्री बहुत है, यह तो बताइये कि आप क्या चाहते हैं?
चुपके-चुपके आपका झांकना अच्छा नहीं लगता,
ब्लाग यह है आपका तो शरमाना अच्छा नहीं लगता।
रवीन्द्र कुमार पाठक
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें