कभी कभी अच्छी जानकारियां लगातार मिलती हैं। आज फिर श्री रविशंकर जी का पोस्ट
एक सार्थक खोज की जरूरत (क्या नाम कुछ कहते भी है ???) से लबरेज रिपोर्ताज
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अगर छपरा मुख्यालय से NH 101 की तरफ निकलते है तो पहले ही रेलवे गुमटी के पास एक बोर्ड लगा मिलेगा जिस पर उस जगह का नाम है ... मगाई डीह
यानि मगो का गृहभूमि
और आगे जाईये जगह का नाम मिलेगा सक्कडी यानि शाको का डीह (गृह भूमि)
(हालांकि अब इसके अर्थ को नही जानने वाले इस पंचायत का नाम सरकारी प्रपत्रों में शंकरडीह कर इसके नाम में अर्थ देने हेतु बदलाव कर लिए है।फिर भी पुराने दस्तावेज सक्कडी ही बयां करते है।)
इसी क्रम में स्क्कड़ी से आगे एक महत्वपूर्ण स्थान मिलेगा -उमगा (सारण)।।
( ध्यातव्य है एक उमगा औरन्गावाद में भी स्थित है जहा प्रसिद्द सूर्य मंदिर है)
जलालपुर पंचायत में देवरिया, विसुनपूरा,फ्कुली ,सिधवलिया फिर बनियापुर प्रखंड में सासना किसुनपुर, बेदौली ,चानपुर, बान पूरा, मझौली दंदासपुर( दिनादासपुर का अपभ्रंस) ,चकदे ( चरक देव का अपभ्रंस) इतियादी गावं मिलेंगे है जिनमे अधिकांश गाव शाकद्विपियो से आज भी आच्छादित है और इसी NH पर आगे बढ़ते जाये तो सामपुर, देकुली,इतियादी नाम भी अपने तद्भव और अपभ्रंस रूप में भी अपने प्राचीनता और सूर्य संस्कृति के उदघोष की मौन मुखरित व्याख्या करते दीखेंगे।
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अगर छपरा मुख्यालय से NH 101 की तरफ निकलते है तो पहले ही रेलवे गुमटी के पास एक बोर्ड लगा मिलेगा जिस पर उस जगह का नाम है ... मगाई डीह
यानि मगो का गृहभूमि
और आगे जाईये जगह का नाम मिलेगा सक्कडी यानि शाको का डीह (गृह भूमि)
(हालांकि अब इसके अर्थ को नही जानने वाले इस पंचायत का नाम सरकारी प्रपत्रों में शंकरडीह कर इसके नाम में अर्थ देने हेतु बदलाव कर लिए है।फिर भी पुराने दस्तावेज सक्कडी ही बयां करते है।)
इसी क्रम में स्क्कड़ी से आगे एक महत्वपूर्ण स्थान मिलेगा -उमगा (सारण)।।
( ध्यातव्य है एक उमगा औरन्गावाद में भी स्थित है जहा प्रसिद्द सूर्य मंदिर है)
जलालपुर पंचायत में देवरिया, विसुनपूरा,फ्कुली ,सिधवलिया फिर बनियापुर प्रखंड में सासना किसुनपुर, बेदौली ,चानपुर, बान पूरा, मझौली दंदासपुर( दिनादासपुर का अपभ्रंस) ,चकदे ( चरक देव का अपभ्रंस) इतियादी गावं मिलेंगे है जिनमे अधिकांश गाव शाकद्विपियो से आज भी आच्छादित है और इसी NH पर आगे बढ़ते जाये तो सामपुर, देकुली,इतियादी नाम भी अपने तद्भव और अपभ्रंस रूप में भी अपने प्राचीनता और सूर्य संस्कृति के उदघोष की मौन मुखरित व्याख्या करते दीखेंगे।
(चक उपसर्ग या प्रत्यय वाले शाकद्वीपीय वैद्यो के गाव देखे गए है यथा चक बैद्योलिया, छपरा में भी राजेन्द्र कालेज के समीप जगह का नाम श्याम चक है)
क्या आप सबो को नही लगता की मग संस्कृति हेतु इन सबको सहेजने एवं इतिहास के गुप्त चिन्हों को अब डिकोड करने की जरुरत आ पड़ी है ??