गुरुवार, 30 अक्तूबर 2014

फेसबुक से साभार Ravi Shankar‎


फेसबुक से साभार

भगवान् आदित्य के महान साधना पर्व :छठ व्रत पर आप सबो को ढेर सारी शुभकामनायें।।
भगवान् भाष्कर एवं सौर संस्कृति से जुडी एक तथ्य के तरफ आप सबो का ध्यान आकर्षण चाहूँगा।..
आयुर्वेद की तरह ही महत्वपूर्ण चिकित्सा विधि सिद्धा चिकित्सा भी है। इसे देव चिकित्सा के नाम से अभिहित किया जाता है। इसकी प्रचार प्रसार केरल ,तमिलनाडु में काफी पाई जाती है । इसके आदि प्रवर्तक आदित्य ह्रदय स्त्रोत के प्रणेता महर्षि अगस्त्य बताये जाते है।। महर्षि अगस्त्य सूर्य पूजा एवं चिकित्सा विज्ञानं के सिद्धहस्त माने जाते रहे है। वे उत्तर से दक्षिण तक (अपनी विद्या एवं कौशल से )संस्कृति को एककार करने में सफलता पाने में सफल रहे थे। ऋषि अगस्त्य के चिकित्सा पद्धति को अपनाने वाले सिद्ध वैद्यो ,जो शाकद्वीपीय रहे है ,के बसाव वाले गावँ सिद्धवलिया के नाम से प्रसिद्द है (वैद्योलिया की तरह)।
अभी तीन सिद्धवलिया जानकारी में है
1.सारण जिला में (जिला मुख्यालय के आसपास)
२.गोपालगंज जिला मे(चीनी मिल के कारण प्रसिद्ध)
3.गोरखपुर लार रोड के निकट।
शाकद्वीपीय बांधवो की अच्छी खासी संख्या आज भी इन गावों में पाई जाती है।
कहा जाता है...
सिद्ध गावं सिधवलिया बसा नदी के तीर ।
अष्टाङ्ग सिद्ध को जानके बने बावन वीर।।
अपनी बिरादरी के जुड़े क्षेत्रो, पूजा पद्धतियों एवं अन्य खोयी कड़ी से जुडी है न एक महत्वपूर्ण बात!!!


  • Ravi Shankar @ आदरणीय पाठक जी , मुझे तो एक बात में और साम्यता भी मिलती है खासकर दक्षिण सिद्ध वैद्यो के इतिहास से। यहाँ सिद्धरो की संख्या 18 (तमिल साहित्य में )बताई गयी है। साम्ब की चिकत्सा के लिए भी 18 ही मग ब्राह्मण आये थे। सिद्ध बैद्य को द्वारका से जाने की भी बात तमिल साहित्य में मिलती है। द्वारका श्री कृष्ण नगरी थी और मग वैद्य उनसे जुड़े भी थे। मग जाति तंत्र, मन्त्र, ज्योतिष, रहस्य, भैषज्य, रस -रसायन इन सारी वैज्ञानिक तथ्यों में अग्रणी रही थी। इस सभी में लिंक जोड़ना भाषा, विधि, परंपरा,पेशा इतियादी के साम्यता के अधार पर खोजा जाना चाहिए।ऋषि अगस्त को अगतियार नाम से संबोधन होता देखा जाता है। शक्द्विपियो में आर प्रत्यय वाले पुर स्वाभविक रूप से पाए जाते है । सारे तमिल सिद्ध वैद्यो के नाम में इस आर प्रत्यय को जुडा पाया जाता है। आप खुद संस्कृत भाषा ,पालि भाषा तथा वैज्ञानिक अवधारणा के आधार पर विवेचना करने वाले विद्वान है। मेरी सोंच पर आपकी अध्ययन क्या कहती है इसकी प्रतिक्षा रहेगी।

कोई टिप्पणी नहीं: