मग-भोजक लोगों के अनेक संगठन बनते बिगड़ते रहे हैं। इन संगठनों की अंदरूनी हालात चाहे जो भी हो उनके द्वारा व्यक्त विचारों से भी बहुत कुछ जाना जा सकता है। मैं ने उनसे पूछ कर उनके द्वारा प्रकाशित सामग्री बिना अपनी टिप्पणी के स्कैंड रूप में डालने का सिलसिला इस बार से शुरू किया है। एकाध पृष्ठ मुखपृष्ठ पर और शेष इसी ब्लाग के ‘‘संगठन एवं राजनीति’’ नामक स्वतंत्र पृष्ठ पर क्लिक कर और स्कैंड पृष्ठ पर डबल क्लिक कर पढ़ें
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