23 तारीख को आयोजित शाकद्वीपीय परिवार मिलन समारोह अपने आप में एक अनूठी
बात समाए था क्योंकि इसका कोई अध्यक्षीय केन्द्रबिन्दु नहीं था, कोई सभा
नहीं थी जो केन्द्रस्थ संचालित हो । बस लोग आते गए जुड़ते गए और एक सूत्र
में बंधते चले गए । बीतते हुई घड़ी के साथ परिवार का दायरा बढ़ता गया ।
लोग एक दुसरे से मिले, पुराने संबंध नवीनिकृत हुए, नए संबंध बने और अंतिम
क्षणों तक एक एकीकृत
परिवार के रूप में एकदूसरे को विदाई दी ।
यह परिकल्पना डॉ श्री रवीन्द्र पाठक की थी जिसमें उन्होंने सोचा था कि
भाषण और वायदे हवा में विलीन होने वाली चीजें हैं और पूर्णतः अव्यवहारिक
सी है । व्यवहारिकता तो यही है कि हम एक दूसरे के करीब आएँ और हृदय के
तार जुड़ें तभी परिवर्तन संभव है । इसी सिद्धांत के व्यवहारिकरण की एक
कड़ी के रूप में यह परिवार मिलन समारोह सम्पन्न हुआ ।
महिलाओं और बच्चों की अभिन्न सहभागिता के कारण समारोह की सार्थकता बहुगुणित हो गई ।
इन सबके बीच भोजन और गीत-संगीत का दौर भी चलता रहा लोग तृप्ति और आनंद
में डूबते-उतराते रहे ।
बात समाए था क्योंकि इसका कोई अध्यक्षीय केन्द्रबिन्दु नहीं था, कोई सभा
नहीं थी जो केन्द्रस्थ संचालित हो । बस लोग आते गए जुड़ते गए और एक सूत्र
में बंधते चले गए । बीतते हुई घड़ी के साथ परिवार का दायरा बढ़ता गया ।
लोग एक दुसरे से मिले, पुराने संबंध नवीनिकृत हुए, नए संबंध बने और अंतिम
क्षणों तक एक एकीकृत
परिवार के रूप में एकदूसरे को विदाई दी ।
यह परिकल्पना डॉ श्री रवीन्द्र पाठक की थी जिसमें उन्होंने सोचा था कि
भाषण और वायदे हवा में विलीन होने वाली चीजें हैं और पूर्णतः अव्यवहारिक
सी है । व्यवहारिकता तो यही है कि हम एक दूसरे के करीब आएँ और हृदय के
तार जुड़ें तभी परिवर्तन संभव है । इसी सिद्धांत के व्यवहारिकरण की एक
कड़ी के रूप में यह परिवार मिलन समारोह सम्पन्न हुआ ।
महिलाओं और बच्चों की अभिन्न सहभागिता के कारण समारोह की सार्थकता बहुगुणित हो गई ।
इन सबके बीच भोजन और गीत-संगीत का दौर भी चलता रहा लोग तृप्ति और आनंद
में डूबते-उतराते रहे ।
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