मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

संशोधित कार्यक्रम


ज्ञानामृत
सौर तंत्र परिचय-स्वाध्याय सत्र: माघ शुक्ल सप्तमी से माघ शुक्ल द्वादशी तक
मुख्य विषय - ब्रह्माण्ड की परिकल्पना, हिरण्यगर्भ एवं सविता की अवधारणा, सौर मंडल एवं राशि विज्ञान, देश एवं काल मापन की प्रणालियां एवं सामाजिक जीवन में उनका उपयोग। सूर्य की उपासना, उसकी विभिन्न शैलियां तथा साधना के स्तर। मग ब्राह्मणों एवं सूर्य मंदिरों की भूमिका एवं बदलते सामाजिक संदर्भ, उत्थान पतन तथा मुख्य धारा में सौर तंत्र के अंशों को आत्मसात् किया जाना।
प्रस्ताव/विचारणीय-
1    सूर्य की परंपरा में होने का दावा करने के कारण सौर तंत्र जानने-समझने की हमारी नैतिक जिम्मेवारी है।
2    हम पूर्णतः दक्ष या सर्वज्ञ भले न हों, जानने का प्रयास जरूरी है अतः जिज्ञासु और आंशिक     ही सही, जानकार         लोगों के बीच आपसी स्वाध्याय की दृष्टि से संवाद एवं परिचर्चा भी आवश्यक है।
इसी मकसद से मग मित्र मंडल के सदस्यों ने कुछ तैयारी की है, जो हम आपस में बांटना चाहते हैं। इसके साथ जो कोई भी सौर तंत्र के बारे में सैद्धांतिक या प्रायोगिक ज्ञान रखते हों, उनका भी सादर स्वागत है, हम उन्हें भी सुनेंगे।
इस स्वाध्याय के लिये दो ग्रंथों - सांब पुराण एवं सूर्य सिद्धांत को मूल संदर्भ ग्रंथ माना गया है। चर्चा में अन्य ग्रथ होंगे पर केन्द्र में ये दोनो ही होंगे।
प्रतिभागी - 18 साल से अधिक का कोई भी मग ब्राह्मण स्त्री/पुरुष
समय - अपराह्न 3.00 से सूर्यास्त तक
अवधि -17 फरवरी माघ शुक्ल सप्तमी से माघ शुक्ल द्वादशी दिनांक 21 फरवरी तक
स्थान - चिन्मया वत्सला विद्यालय, खैरात अहमद रोड, पीपरपांती, गया
सत्र विभाजन - प्रतिदिन 2 सत्र होंगे - प्रथम - 3.00 से 4.00 तक तथा द्वितीय - 4.30 से सूर्यास्त तक
प्रथम दिन
प्रथम सत्र    3.00 से 4.00  - परिचय एवं विषय प्रवेश
द्वितीय सत्र  4.30 से सूर्यास्त तक प्रतिदिन- संध्या एवं नाड़ी शोधन का अभ्यास, प्रणायाम एवं इडा-पिंगला को संतुलित करने वाले उपायों का प्रशिक्षण ताकि संध्या काल में मध्य/सुषुम्ना नाड़ी में सूर्योपासना का अभ्यास हो सके। अन्य अभ्यास। 
द्वितीय दिन 3.00 से 4.00  - सौर तंत्र का सनातन धर्मीय कर्मकांड में समावेश।
तृतीय दिन    3.00 से 4.00  - सौर तंत्र की मूल संरचना तथा बाह्य आंभ्यंतर साधना के सूत्र
चतुर्थ दिन    3.00 से 4.00  - सौर तंत्र की मूल संरचना , सौर कुल, जातियां, देवी-देवता, मग ब्राह्मण
पंचम दिन    3.00 से 4.00  - मगों की सौर विद्या में त्ऱुटि के स्थान तथा पुनः प्रतिष्ठा के संभावित उपाय
द्वितीय सत्र - आपसी उद्गार एवं अगले कार्यक्रम की रूपरेखा, समापन।
नियम-
1    समय से कम से कम 20 मिनट पहले पहुंच कर व्यवस्था में सहयोग करें।
2    सामर्थ्य के अनुसार व्यवस्था का भार अवश्य उठावें एवं आचार्यों को समापन पर कुछ न कुछ दक्षिणा अवश्य दें।
3    बिना समझें न तो उपदेश दें न झूठा दावा करें, वह किसी के लाभ के लिये नहीं होता।
4    खुल कर पूछें किंतु मजाक न उड़ायें, यहां कोई भी सर्वज्ञता का दावेदार नहीं है। चर्चा में मानापमान न मानें।
निवेदक- रवीन्द्र कुमार पाठक, अघ्यक्ष, मग मित्र मंडल, मगध बिहार।
नोट- ‘मग मित्र मंडल’ कुछ जिज्ञासु एवं जानकार लोगों की मित्र मंडली है, कोई औपचारिक संस्था या संगठन नहीं।
मुख्य स्रोत व्यक्ति - डॉ. रवीन्द्र कुमार पाठक एवं अतिथि विद्वान, सहयोगी - श्री मनीष कुमार मिश्र
संपर्क- मो. 9431476562 इ मेल - तंअपदकतंानउंतचंजींा064/हउंपसण्बवउ अन्य जानकारी उंहंेंउेातपजपण्इसवहेचवजण्बवउ

कोई टिप्पणी नहीं: