शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

सौर तंत्र स्वाध्याय सत्र संपन्न
दिनांक 17 फरवरी 2012 माघ शुक्ल सप्तमी से 21.2.2012 तक गया धाम में सौर तंत्र पर सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण संपन्न हुआ। इसमें श्री मनीष मिश्र ने गणितीय तथा खगोलीय पक्ष को दृश्य श्रव्य माध्यमों की सहायता से  स्पष्ट किया। आचार्य श्री लालभूषण मिश्र ने सनातन धर्मीय कर्मकांड में सौर मास, वर्ष एवं गणना के महत्त्व को समझाया। मुख्य आचार्य रवीन्द्र कुमार पाठक ने सौर तंत्र साधना के प्रयोगिक तथा सामाजिक पक्षों को प्रतिभागियों को स्वयं प्रयोग करा कर अनुभव कराया। इस संक्षिप्त सत्र में नाडी शोधन, मध्य नाड़ी को संध्या काल में संतुलित करने, न्यास का अनुभवात्मक ज्ञान एवं लोक प्रचलित विधियों का समूह में प्रयोग करने की विधि सिखाई। मूल ग्रंथों की उपलब्धता के बारे में भी जानकारी दी गई और स्पष्ट किया गया कि विद्या अभी भी न तो पूरी तरह गुप्त हो गयी है न ही लुप्त। इसे मिलजुल कर सीखने एवं उदारतापूर्वक सिखाने की आवश्यकता है।
आयोजन का खर्च लोगों ने मिलजुल कर उठाया। प्रतिदिन चलने वाले सायंकालीन संध्या के लिये मूल विधि नाड़ी शोधन एवं बिंब धारण के अभ्यास के साथ श्री बालमुकुंद मिश्र के आशीर्वचन के बाद कार्यक्रम भावभीने एवं सादगी भरे माहौल में पूरा हुआ। स्थान व्यवस्था श्री कमल पाठक जी ने चिन्मय वत्सला विद्यालय में करायी। संयोजन का काम श्री विजय पाठक चक्रवर्ती एवं श्री प्रभात कुमार पाण्डेय ने संभाला।
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