मग
ब्राह्मणों की जातीय समस्याएं- बिहार, झारखंड एवं
पूर्वांचल ऊत्तर प्रदेश
क्या कुछ
लोग अपने-अपने संगठन की श्रेष्ठता की चिंता छोड़ कर निम्नांकित मुद्दों पर अपना
सुझाव देने की कृपा करेंगे?
हम पहले भी
अंदरूनी एवं बाहरी दोनों प्रकार की जातीय समस्याओं से जूझते रहे हैं और अनेक
प्रकार के सुखद-दुखद अनुभव से गुजरे हैं। इस समय हमलोग सक्रिय रूप से बिरादरी के
साथ संवाद कर रहे हैं। उस क्रम में जो जानकारी आ रही है, उस पर आप
भी विचार कर समस्याओं के समाधान का उपाय सुझाएं और जिन बातों की हमें जानकारी नहीं
है, कृपया उनसे हमें भी अवगत करायें।
समस्याएं
तो सबकी होती हैं। अपने समाज के कुछ लोग विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करते
हुए अपनी प्रतिभा के बल पर सामाजिक, आर्थिक दृष्टि से
आगे बढ़ रहे हैं किंतु काफी संख्या में अभी भी बुरी हालात में हैं और दिनानुदिन
उनकी सामाजिक, आर्थिक हालात बिगड़ती जा रही है।
फिलहाल
यहां केवल मग ब्राह्मणों की जातीय समस्याओं की एक सूची प्रबुद्ध एवं संवेदनशील
लोगों के विचारार्थ प्रस्तुत की जा रही है। निम्नलिखित सूची में मग ब्राह्मण जाति
की अंदरूनी समस्याओं के साथ बाहरी समाज द्वारा पैदा की जा रही समस्याओं को भी
सम्मिलित किया गया है। इन्हंे तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है-
क- पूर्णतः
अंदरूनी, ख- बदलते परिवेश के साथ सामंजस्य संबंधी, ग- बाह्य
दबाव/अत्याचार सबंधी
क- पूर्णतः
अंदरूनी
1 अयोग्य, अकर्मण्य
बने रहने की इच्छा, भीख मांगने तक पर उतारू।
2 केवल जन्म आधारित श्रेष्ठता के छिनते
जाने एवं पुराना सम्मान आदर न मिलने की पीड़ा
3 खेती का मंहगा होना एवं जोत अर्थात्
खेती की जमीन के बंटवारे से उत्पन्न गरीबी
4 पुरोहिती से होने वाली आमदनी में कमी, गलाकाट
प्रतिस्पर्धा
5 गरीबी एवं झूठे अहंकार से उत्पन्न
आपसी कलह एवं ईर्ष्या की अधिकता
6 योग, तंत्र, ज्योतिष
जैसे विषयों के वास्तविक ज्ञान की जगह केवल पाखंड की बुरी आदत में बृद्धि
9 किसी भी गुरुकुल, संस्कृतिक
केन्द्र के अभाव में धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक नेतृत्व का
अभाव, जबकि अन्य जातियों के पास सक्रिय सामाजिक संगठन हैं।
10 कार्यक्रम विहीन जातीय संगठन एवं
उनके कुछ पदाधिकारियों का स्पष्ट जाति विरोधी आचरण, इनसे तो मुझे कई
बार मुकाबला तक करना पड़ गया है
11 जो लोग सरकारी या गैर सरकारी नौकरी
में नहीं गये उनके बीच बढ़ती गरीबी, कुपोषण, अशिक्षा, पुरानी अचल
संपत्ति की बेतहाशा बिक्री और अंततः भिखमंगी या अन्य अवांछित कामों में लगना।
12 शारीरिक श्रम एवं अन्य जिम्मेवारी के
कामों से भागना
13 केवल ईर्ष्यावश और अहंकारवश स्वजातीय
योग्य लोगों का अपमान एवं उनसे लाभ न लेना।
14 नकारात्मक माहौल में आपसी एकजुटता का
अभाव, हीन भावना, नशे की प्रवृत्ति में बढ़त
15 झूठ बोलने एवं तंत्र-मंत्र के नाम पर
ठगने का प्रयास और अपमानित भी होना।
16 सचमुच में विदेशी होने का भय सामाजक
आरोप के उत्तर का अभाव
17 आधुनिक तकनीकी उच्च शिक्षा संपन्न
शहरी लोगों में पारंपरिक पहचान छुपाने का बढ़ता आकर्षण
18 नव सुधारवादी संगठनों में शामिल
स्वजातीय लोगों द्वारा ही जाति निंदा
ख- बदलते
परिवेश के साथ सामंजस्य संबंधी
1 जजमानी प्रथा से कोईरी आदि जातियों
की बगावत, अर्जक संघ जैसे ब्राह्मण विरोधी संध द्वारा की जा रही कटु
आलोचना एवं अपमान।
2 केवल श्रद्धा आधारित कर्मकांड से
समाज एवं घर दोनों स्तर पर बगावत
3 जो लोग पढ़े-लिखे भी हैं उनका
स्वजातीय लोगों को छोड़ कर अन्य गैर ब्राह्मण लोगों को गुरु बनाने की चलन एवं उनसे प्रताड़ना
पाना जबकि अधिक योग्य लोग अपनी बिरादरी में हैं।
4 ब्राह्मण की जन्मना श्रेष्ठता की
आधी-अधूरी चलन वाली धारणा से अन्य जातियों की घृणा एवं आदर युक्त उलझा हुआ व्यवहार
5 आयुर्वेद जैसे रोजगारपरक विषय पर
पूरा सरकारी नियंत्रण, घरेलू स्तर पर बिना डिग्री चिकित्सा कार्य
पर पाबंदी, आयुर्वेदिक कालेज का खर्च उठाने में असमर्थता।
6 आर्थिक/औद्योगिक समझ, नेतृत्व
एवं समर्थन का अभाव
10 दान लेते रहने से दान देने की
प्रवृत्ति का घोर अभाव
11 झोला छाप चिकित्सक बन कर गैर कानूनी
काम के कारण डरते रहना।
12 पूंजी एवं सामाजिक समर्थन के अभाव
में सरकारी ठेके-पट्टे के काम में न लग पाना
14 आधुनिक तकनीकी उच्च शिक्षा संपन्न
शहरी लोगों में अंतर्जातीय विवाह का बढ़ता आकर्षण
15 एक ओर आधुनिक बन कर अंतर्जातीय विवाह
और दूसरी ओर जातीय संगठनों में नेता बनना
16 जाति के लोगों के प्रति ही हिंसा, व्यभिचार
आदि अपराधी प्रवृत्तियों में लगे लोगों को गौरवान्वित करना, मजबूरन
मुझे कई बार विरोध करने एवं उनका प्रकोप सहने का दंड भोगना पड़ा, इनके
विरुद्ध जातीय संगठनों द्वारा कारवाई न करना। जातीय समाज के कड़े विरोध के बावजूद
उन्हें पदाधिकारी बनाये रखना।
17 पारंपरिक उपासना को बिना जाने ढांेग
कहना और विजातीय पाखंडियों का पैर पूजना
ग- बाह्य
दबाव/अत्याचार सबंधी
1 गरीबी के कारण ताकतवर लोगों द्वारा
अपमानपूर्ण व्यवहार एवं प्रताड़ित किया जाना
2 मुख्यतः भूमिहार एवं कहीं-कहीं यादव
जाति के द्वारा अचल संपत्ति हरण करने के षडयंत्र एवं दबाव बनाकार बहुत कम कीमत में
जमीन-जायदाद हड़प लेना।
3 विशेषकर आचारी संप्रदाय में सम्मिलित
भूमिहारों द्वारा धन-जमीन, ईज्जत-आबरू सब कुछ नष्ट करने हड़पने का
सुनियोजित एवं अति क्रूर अभियान। एक प्रकार से सर्वनाश कर देने की हद तक का
प्रयास।
4 साम, दाम, दंड, भेद हर
संभव उपाय से घर में घुसने का प्रयास एवं जबरन भी गुरु एवं पुरोहित बनने का
प्रयास। बकुली डंडे से पीटने तक की घटनाएं। मुख्य रूप से एक भूमिहार साधु के
द्वारा।
5 जबरन स्वयं को श्रेष्ठ बता कर
ब्राह्मण भोजन में सम्म्मिलित होने का दबाव बनाना, अन्यथा हर प्रकार
से तंग करना।
6 विभिन्न जातियों द्वारा अनेक गांवों
में मतदान नहीं करने देना।
7 बी.पी.एल. कार्ड नहीं बनाया जाना।
8 कमजोर होने पर बटाईदार द्वारा फसल
में हिस्सा नहीं दिया जाना।
9 गांव की दबंग जाति से अनेक मामलों
में डर-डर कर जीना या बगावत कर नक्सली संगठनों की शरण में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप
से चले जाना।
सकारात्मक
प्रवृत्तियां/घटनायें
1 जजमानी छोड़ने वाले लोगों का दूसरे
पेशे में जाना और आर्थिक रूप से मजबूत होना
2 अन्य कमजोर जातियों के साथ हो
भूमिहारों से मुकाबले का प्रयास किंतु यादवों के मामले में विफल
3 दुकानदारी एवं अन्य रोजगारों में
शामिल होना, खाश कर बाजार वाले गांवों में
4 नई पीढ़ी का संवेदनशील एवं संधर्षमुख
होना।
5 राजनैतिक चेतना में अभिवृद्धि, कुछ लोगों
की उल्लेखनीय आर्थिक व्यावसायिक सफलता।
6 अगली पीढ़ी को मुख्य धारा में लाने की
कोशिश
9 स्त्री शिक्षा में जोरदार विकास एवं
लड़कियों का भी नौकरी पेशे में आना
10 धर्म एवं योग साधना के रहस्यों को
पुनः जानने की कोशिश
11 अखिल भारतीय स्तर पर एकजुट होने का
प्रयास
12 सरकारी नौकरी न मिलने पर भी निजी
उद्यमों में पर्याप्त संख्या में सेवारत होना
क्षमा
प्रार्थना
मैं एक दो
बार राजस्थान गया। शहर एवं गांव को समझने का प्रयास किया। वहां की समस्याएं थोड़ी
भिन्न हैं। अभी मैं उन्हें ठीक से समझ नहीं सका हूं अतः उन पर टिप्पणी करना उचित
नहीं है।
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