सोमवार, 16 सितंबर 2013

एक अद्भुत सूचना
अब तक की जानकारी के आधार पर मेरी समझ रही है कि राजस्थान के स्वजातीय बंधुओं ने ऋषि गोत्र को नहीं अपनाया। यह मेरी जानकारी की सीमा रही। यदि इसमें कोई गलती है, तो मेरी है। कुछ दिनों पहले फेसबुक पर श्री महेश शांडिल्य एवं श्री............................ ने जो चार्ट उपलब्ध कराया है वह जातीय इतिहास के नये पक्ष पर प्रकाश डालता है। इसके अनुसार तो 16 पुर के लोग राजस्थान गये और वहां जा कर उन्होंने ग्राम (पुर) पद्धति की जगह अपनी पहचान तथा सगोत्रता निर्धारण हेतु खाप पद्धति को स्वीकार किया। यह ऐसी सूचना है जो मग-भोजकों के आपसी संबंध को नई व्याख्या एवं दिशा दे सकती है।
अतः आप सभी स्वजातीय मित्रों से मेरा निवेदन है कि अपनी जानकारी से इसे स्पष्ट करें कि क्या यह सूचना वस्तुतः समाज स्वीकृत है या किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा अपनी समझ और रुचि से बनाया गया चार्ट। इसकी प्रामाणिकता की जांच बहुत जरूरी है।

2 टिप्‍पणियां:

punyarkkriti.blogspot.com ने कहा…

प्रिय पाठकजी,स्नेहाशीष।
आपकी टिप्पणी तो सुपाठ्य है,किन्तु दी गयी सूची में कुछ भी पता नहीं चल रहा है।डबलक्लिक से खुलकर बड़ा भी नहीं हो रहा है।

Ravindra Kumar Pathak ने कहा…

मैं कर रहाहूं तो पढ़ने के लायक हो जा रहा है। एक सज्जन ने अपना साइट दे कर कहा है कि वह पेज मूलतः वहां का है। आप वहां भ्ी प्रयास कर लें।